Sunday 5 May 2013

इंतज़ार फिर से.....


आज फिर वो दिन याद आया है 
एक बार फिर दिल ने उलझाया है 
ये शाम आज फिर आई है 
अब क्या करून फिर से तेरी बात याद आई है  


सोचता हूँ , जो हुआ है अब हो चुका है 
जो बीता है, सो बीत चूका है 
पर ऐसा क्या है जो तुम्हे नहीं भाया है 
मेरी हर कोशिश को तुमने बस ठुकराया है

शायद, हम ना कभी समझे थे 
और अभी भी हम ना समझ हैं 
लेकिन तुम पर वो गिला अभी भी साया है 
पर तुमने भी तो इतनी मुद्दत के बाद खुद को उठाया है 
हमने भी तो अपने दिल को खूब समझाया है 

खैर, ये मेरे बस में नहीं की मैं तुझे अपने बस में करूं
लेकिन हमेशा तुझे हमने अपने एहसास में पाया है 
सिर्फ दिल में नहीं , तुम्हे हमने अपनी दुआ में सजाया है 

आपका ,
आनंद...