Tuesday 16 June 2020

तनाव को दूर करने के 13 टिप्स

१. समय से सोए, समय से जगे, यदि आप वर्किंग प्रोफेशनल है तो 8 घंटे जरूर से अच्छी साउंड स्लीप ले ।।

२. मेडिटेशन जरूर करे, यदि आपको नींद नहीं आती है, स्लीपिंग डिस्टर्बेंस है तो जब आप बेड पर जाय, उससे पहले अच्छी तरह से हाथ मुंह धोए, पैरों को धोएं ।।

३. 5 मिनट भगवान का ध्यान करे, साथ ही कल की प्लानिंग जरूर करे, इससे आप कल को लेकर के फोकस्ड रहेंगे ।।

४  जब आप बेड पर सोने जाय, मेडिटेशन संगीत (music) जरूर लगाएं ,धीमी आवाज में इससे आप पाएंगे अलग ही दुनिया में धीरे धीरे आप जाएंगे साथ जल्दी और अच्छी नींद आएगी।।

५.सुबह या शाम जब भी आपको टाइम मिले आप २० मिनट थोड़ा वॉक जरूर करे।।

६.अपनी दैनिक क्रिया को अपनी डायरी में लिखने का प्रयास करे, यदि संभव हो तो डेली नहीं तो साप्ताहिक जरूर।।

७.कुछ दिन के लिए जहां आप रह रहे है, उस जगह से एक वीक का छुट्टी ले साथ ही किसी अच्छे जगह जाएं , जहां भी आपको पसंद हो ,घूम के आए, हो सकता है आपको पहाड़ , झड़ना , प्रकृति, समुन्द्र पसंद हो, जहां भी जाना पसंद थोड़ा टाइम अपने को दे, अपनों को दे , परिवार के साथ घूमने निकले।।

८. यदि आप किसी अवसाद से ग्रसित है तो मनोरोग चिकित्सक से जरूर मिले , और सिर्फ उन्हें फॉलो करे, इसका एक फायदा होगा क्यों की जो दवाइयां वो देंगे , वो केमिकल हमारे शरीर में मस्तिष्क में घुलेगा और धीरे धीरे हम अच्छा महसूस करेंगे कभी कभी ऐसा होता है जब हमारे मस्तिष्क में शरीर में किसी केमिकल का कम होना पाया जाता है या कम रिलीज होता है, उस वक़्त हमें मेडिकल साइंस के ऊपर भरोसा जरूर करना चाहिए साथ ही जो मैंने टिप्स दिए उसे भी फॉलो करें।

९  अपने परिवार वालों के संपर्क में जरूर रहे , बात करे, लोग कहते है आंसुओ में वजन काफी होता है, मन करे तो रोए, मन करे तो हंसे इससे आपके मन के अंदर के विकार बाहर आएंगे और आप अच्छा महसूस करेंगे।।

१०. मुस्कुराना सीखे , धीरे धीरे आपको इसकी आदत पड़ जाएगी, जो चीज़े आपकी जरूरत की ना हो उसे इग्नोर करे ।।

११. अपनी एक क्रमबद्ध तरीके से रूटीन बनाए, सुबह से शाम तक की और उसे अनुशासित ढंग से फॉलो करे, इससे आप का ध्यान भटकेगा नहीं।।

१२. सोशल मीडिया से कुछ समय के लिए दूर हो जाय और अपने आप को घूमने में, कुछ करने में व्यस्त रखे।।

१३. और अंत में अपने पर और जो आपके अपने है, उन पर विश्वास जरूर करे, इससे आप कॉन्फिडेंट रहेंगे ।।

Wednesday 3 June 2020

एक आस ..।।

वो सुबह कभी तो आएगी, वो सुबह कभी तो आएगी,
जब हम बंद घरों से होंगे बाहर, वहीं चहल कदमी  फिर सुन आएगी।

फिर सभी स्वतंत्र हो घूमेंगे , ना कोई फिकर ना कोई चिंता होगी,
वो सुबह कभी तो आएगी, वो सुबह कभी तो आएगी।।

यूं तो इस कदर घरों में बैठना , अच्छा है प्रकृति के लिए ,
आवो हवा भी हो रही साफ , स्वच्छंद नदियों के लिए।

पर उनका क्या  ? जो हम पर ही निर्भर होते  रोजी रोटी के लिए,
हम यहां हो रहे खुश,और कहते -  चलो अच्छा है, अपनों के लिए।।

और "वो"  इसलिए चिंतित हैं, कि एक और दिन ना गुजर जाए भूख के मारे।
हां वो दिन ही तो गुज़ार रहे इस आश में की चल कर पहुंच पाए अपनों तक मारे - मारे।।

हां साब ।। जिस मजदूर ने इतने बड़े बड़े शहर बसा दिए , वो आज मजबूर हो गए,
हो गए वो "मजबूर" इस शहर को छोड़ने को, जिसे वो अपना मान बैठा था।

आज "हालात ए मजबूरी "ना होती तो यूं इस कदर यहां वहां ठोकरें ना खाते।
यूं ,इस कदर इनकी मौतें ना होती,उसी सड़क पर जिसे इसने खुद बनाया था।।

हे ईश्वर अब अपनी क्रोध की अग्नि को करो शांत, हम अबोध अब खड़े है सामने जोड़े दोनों  हाथ।।

एक आस के साथ ... कि वो सुबह जल्द ही आएगी , वो सुबह जल्द ही आएगी।।

धन्यवाद्,
आनंद

Sunday 26 April 2020

कोरोना युग में बैंगलोर।।

यूं तो मै इतनी सुबह कभी उठता नहीं, चलो आज आप लोगो को इस कोरोना युग ( जी हां हम इसे कोरोना युग कह सकते है, ये एक ऐसी वैश्विक महामारी है जिसने विश्व के कई देशों को अपना शिकार बना लिया)
                 यूं तो बैंगलोर में कभी पहले ना हमने इतनी शुद्घ हवा में सांस ली और ना ही रातों के वक़्त कभी गगन में टिमटिमाते तारों को एक टक देखा , हां हमने यहां लगभग एक दशक अब पूरा कर लिया है, हमने बैंगलोर को इस कदर इंन एक दशक में बदलते देखा है ,मानो हम और हमारे जैसे व्यक्ति जो अपनी स्वार्थ वश इस शहर को नष्ट करने में अपना योगदान दिया हो।। बैंगलोर आज दूसरे महानगर की भांति अपने को उस गति से अग्रसित कर रहा है, चाहे बड़े बड़े अपार्टमेंट हो ( क्यों ना हम पेड़ पौधों को जंगलों को उपजाऊ जमीन को हटा कर बनाया हो) , सड़के, मार्केट, हर चीज यहां तीव्र गति से बढ़ी है।
       मुझे समझ नहीं आता इस कोरोना युग में प्रकृति का धन्यवाद करूं, या परम पिता परमेश्वर का शुक्रिया अदा करूं, जिन्होंने हम मानव को जब बनाया होगा ,उन्होंने भी कभी ऐसा सोचा ना होगा कि हम मानव अपनी स्वार्थ वश प्रकृति को नष्ट करने पर उतारू हो जाएंगे, कहीं ना कहीं ईश्वर जानते है, की उन्हे ये श्रृष्टि कैसे चलानी है, आज हम मानव पशु की भांति बंद कमरों में इस कदर बैठे है जैसा हमने कभी अपने पशु को अंदर जंजीरों में बांधा था, वहां हमने अपने पशुओं को अपने शौख के लिए बंद किया और यहां हम मौत के डर से अपने को घरों में बंद को मजबूर है।।
जब जब इस संसार में मानव अपने कर्मो की पराकाष्ठा को पार करके एक अलग दुनिया बसाने की कोशिश करेगा ,प्रकृति मानव को अपना शक्ति जरूर दिखाएगी, क्योकी प्रकृति से बलवान कोई भी नहीं।।
अब इस कोरोना युग में कुछ सकारात्मक पहलू की तरफ नजर दौड़ाते है,

हां हमें आज सुबह पक्षियों की कलरव करती आवाजे सुनाई दी , मानो एक स्वर में गाने की कोशिश कर रही हो,

हां हमने अपने व्यस्त समय में से अधिकाश अपने परिवार के साथ बिताया , मानों सब की आंखों में एक उम्मीद हो

हां हमने जीवन को एक सादगी के साथ जीना सीख लिया
मानो की इससे अच्छा समय कभी नहीं हो सकता

हां अब हम घरों में बंद है, नदिया स्वच्छ सी हो गई
हां होती भी क्यों ना अब प्रदूषण जो कम है।
हां अब पक्षिया एक स्वर में गा रही, तितलियां भी इतरा रही
हां गाए और इतराए भी क्यूं ना , अब हम जो बाहर ना है।।

अब इस कोरोना युग को क्या कहूं बस जो हो रहा है , प्रकृति की मंजूरी ही होगी।।





धन्यवाद्,
आनंद