तुझे खुद से ज्यादा सम्मान दिया मैंने,
तुझे खुद से ज्यादा चाहा था मैंने,,
तेरी हर बातों को सर आँखों पे लिया था मैंने,
तेरी हर एक चीज़ को प्राथमिकता दी थी मैंने..
तुम भी कही अपनी दुनिया बसाओगे फिर से
पर हमारे बिना तुम्हारा भी गुज़ारा ना होगा..
तेरी आँखों से भी फिर से बरसातें ही होंगी,
जो तेरी आँखों के आगे ये नज़ारा ना होगा,
तेरे कानो में गुन्जेंगे ये अल्फाज़ मेरे,
इतनी आवाज़ देंगे जितना किसी ने तुझे पुकारा ना होगा.
दिल के ज़ज्बातों को कागज़ पर उड़ेलोगे तुम भी,
कांपेगी उंगलियाँ और कोई सहारा ना होगा,
जब भी मिलेगा कोई ख़त तुझे गुमनामियों मे,
ख्याल आएगा मेरा पर वो ख़त हमारा ना होगा.
धन्यवाद,
आनंद