जिंदगी ना जाने किस मोड़ पे ला के खड़ी कर दी है।
एक वो है जिसके लिए हर वक़्त दुआ करता हूँ
जब भी दर पे उनके आगे खड़ा होकर कुछ मांगने की इक्षा रखता हूँ।
तो भी सिर्फ उनका ही चेहरा नजर आता है।
उनकी तरक्की जीवन का हर सुख उन्हें मिले
जिनकी आश वो लगा के बैठी हैं..
क्या किसी को सच्चे मन से निःस्वार्थ भावना से चाहना गलत है।
"कोई तो बात है जिस पर ख़फ़ा है मुझसे वो , राब्ता रखता है अब वास्ता नहीं रखता...!
फिर भी हृदय में उनकी ही मूरत होगी. और न जाने किस दिन वो समझने का पर्यत्न करेगी।
ऐसा न हो समझने की धुन में वो नादान कभी हमें समझ न पाये।
आपका,
आनंद
एक वो है जिसके लिए हर वक़्त दुआ करता हूँ
जब भी दर पे उनके आगे खड़ा होकर कुछ मांगने की इक्षा रखता हूँ।
तो भी सिर्फ उनका ही चेहरा नजर आता है।
उनकी तरक्की जीवन का हर सुख उन्हें मिले
जिनकी आश वो लगा के बैठी हैं..
क्या किसी को सच्चे मन से निःस्वार्थ भावना से चाहना गलत है।
"कोई तो बात है जिस पर ख़फ़ा है मुझसे वो , राब्ता रखता है अब वास्ता नहीं रखता...!
फिर भी हृदय में उनकी ही मूरत होगी. और न जाने किस दिन वो समझने का पर्यत्न करेगी।
ऐसा न हो समझने की धुन में वो नादान कभी हमें समझ न पाये।
आपका,
आनंद