Sunday 7 December 2014

दिल की बात दिल तक

जिंदगी ना जाने किस मोड़ पे ला के खड़ी कर दी है। 
एक वो है जिसके लिए हर वक़्त दुआ करता हूँ 
जब भी दर पे उनके आगे खड़ा होकर कुछ मांगने की इक्षा रखता हूँ। 
तो भी सिर्फ उनका ही चेहरा नजर आता है। 
उनकी तरक्की जीवन का हर सुख उन्हें मिले 
जिनकी आश वो लगा के बैठी हैं.. 
क्या किसी को सच्चे मन से निःस्वार्थ भावना से चाहना गलत है। 
"कोई तो बात है जिस पर ख़फ़ा है मुझसे वो , राब्ता रखता है अब वास्ता नहीं रखता...!
फिर भी हृदय में उनकी ही मूरत होगी. और न जाने किस दिन वो  समझने का पर्यत्न करेगी। 
ऐसा न हो समझने की धुन में वो नादान कभी हमें समझ न पाये। 



आपका,
आनंद

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