आज बहुत दिनों के बाद दिल किया कुछ लिखने को, यूँ तो प्यार की कोई भाषा नहीं होती है फिर भी इन्हे शब्दों का रूप देने की जुर्रत कर रहा हूँ...!! ये चंद पंक्तियाँ समर्पित है उस शख्श के लिये जो मेरी अर्धांगिनी है...!!
मेरी हर धड़कनों में तुम ही हो, जीवन की संगीत भी तो तुम ही हो ..
लड़ना -झगरना, बातों-बातों में
चुप हो जाना, पर इन सभी का हक़दार भी तो तुम ही हो ...!!
.
सुबह की पहली किरण देखना पसंद है, मुझे सिर्फ तुम्हारे साथ,
चाय की चुस्की के साथ "सुर्र -सुर्र "की आवाज़ करना पसंद है, मुझे सिर्फ तुम्हारे साथ...!!
अभी तो बहुत दूर तलक जाना है हमें सिर्फ तुम्हारे साथ,
अभी तो जिंदगी को और करीब से देखना है सिर्फ तुम्हारे साथ...!!
क्यों की ये साथ अच्छा लगता है "जान", सिर्फ तुम्हारे साथ,
किस तरह से अदा करूँ शुक्र तेरा, बस ये साथ हमेशा बना रहे सिर्फ "तुम्हारे" साथ,
लो आज हक़ से कहता हूँ, एक बार नहीं बार-बार है प्यार हमें सिर्फ तुम्हारे साथ ...!!
तुम्हारा,
आनंद
Jindgi ki har ek sans lungi sirf "tumhare" sath....
ReplyDeleteIs Dil ki har ek dhadkan sirf "tumhare" liye.....
आभार आपका ..!!
ReplyDelete