एक बार फिर, किसी की आहट ने..!
दिल के दरवाज़े पे, दस्तक दी है..!!
फिर वो शाम और, शाम के अंधेरे...!
और इन अंधेरे मे ढूँढती हुई वो अक्स....!!
कुछ दिन से तेरे साथ नही , कोई बात नही है..!
यूँ लगता है सदियों से मुलाकात नही है....!
दुख दर्द सूनाओ मुझे, हर बात बताओ..!
ये दिल की ख्वाइश है, मेरी बात नही है!!
जब याद तेरेी आए तो, आ जाते है आन्सु..!
मै कैसे कहूँ ,आँख मे बरसात नही है..!!
सूखे हुए कुछ फूल हैं , और अश्क़ है ताज़ा ..!
कुछ और मेरे पास तो, सौगात नही है..!!
वाकिफ़ है मेरे दर्द से सुबह का उजाला..!
ला-इल्म मेरे गम से , मेरी रात नही है..!!
मैं जिसकी मुहब्बत मे , यू बेहाल हूँ..!
"मर्ज़" वो हंस के कहती है कोई बात नही है..!!
आपका,
आनंद....